भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बादल-२ /गुलज़ार

4 bytes added, 18:12, 24 सितम्बर 2012
मैंने पर्दा खींच दिया--
गीला गीला इक हवा का झोंका उसने
फूँक फूँका मेरे मुँह पर, लेकिन--
मेरी 'सेन्स आफ ह्युमर' भी कुछ नींद में थी--
मैंने उठकर ज़ोर से खिड़की के पट
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,147
edits