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सुँदर / परिचय

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|रचनाकार=बिहारीसुंदर
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ये ग्वालियर के ब्राह्मण थे और शाहजहाँ के दरबार में कविता सुनाया करते थे . इन्हें बादशाह ने पहले कविराय की और बाद में महा कविराय की उपाधि दी. इन्होंने संवत १६८८ में 'सुंदरश्रृंगार' नामक नायिका भेद का एक ग्रन्थ लिखा. कवि ने रचना की तिथि इस प्रकार दी है :--
<poem>
संवत् सोरह सै बरस,बीते अठतर सीति.
 
कातिक सुदी सतमी गुरौ,रचे ग्रन्थ करी प्रीति .
इसके अतिरिक्त 'सिंहासनबतीसी' और 'बारहमासा' नाम की इनकी दो पुस्तकें और कही जाती हैं. यमक और अनुप्रास की ओर इनकी कुछ विशेष प्रवृति जान पड़ती है.
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