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'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिवदीन राम जोशी | }} {{KKCatKavitt}} <poem> मो मन म...' के साथ नया पन्ना बनाया
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|रचनाकार=शिवदीन राम जोशी
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मो मन माहीं बसे मन मोहन,और बसी मन राधिका रानी,
नन्द यशोमती कौन बिसारत, गुवालन की छबि नाहीं भुलानी |
बृज की बृजबाल वे गुजरियां, अहो! कृष्ण के संग करे मनमानी,
शिवदीन, न भूल सके इतने, यमुना जल अमृत निर्मल पानी |
<poem>
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मो मन माहीं बसे मन मोहन,और बसी मन राधिका रानी,
नन्द यशोमती कौन बिसारत, गुवालन की छबि नाहीं भुलानी |
बृज की बृजबाल वे गुजरियां, अहो! कृष्ण के संग करे मनमानी,
शिवदीन, न भूल सके इतने, यमुना जल अमृत निर्मल पानी |
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