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|संग्रह=अंगारों पर शबनम /वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
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'''दिल में उतरने की कोशिश'''
हिन्दी के प्रतिष्ठापित होते ग़ज़लकार भाई वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’ की ग़ज़लें भीड़ भरे ग़ज़लकारों में अकेली, अद्वितीय आवाज़ है । लगभग त्रुटिशून्य और सन्नाटे के अंधेरे को शब्दों की रश्मियों से चीरती -
मुझे पूरा भरोसा है, हिन्दी के सुधी समीक्षक इस आवाज़ को नज़र अंदाज़ करने की स्थिति में नहीं होंगे । उनकी रचना किसी ऊपरी वाह-वाही की मोहताज़ नहीं, क्योंकि दिल की कमान से निकले उनके अशआर सीधे दिल में उतरने की कोशिश हैं । ‘अंगारों पर शबनम’ की ग़ज़लें सारे देश में लोकप्रिय होंगी, यह मेरा दृढ़ अनुमान है ।
'''-[[प्रो. डॉ. देवव्रत जोशी]]'''
24, वेदव्यास कॉलानी नं. 2,
रतलाम (म.प्र.) 457001 फोन-07412-239477
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