भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तूं कद आसी / गोरधनसिंह शेखावत

376 bytes added, 16:13, 20 नवम्बर 2012
पड़ी-पड़ी सूखण लागी
तूं कद आसी
 
थारी छाती री धड़कणां सूं
जीवती रहबाळी
कांचळी रा सांसा रा तार
उघड़बा लाग्या
खूंटी रै टंग्यौडै पोमचै पर
लाग्योडो मूंधो गोटो
झूठो पड़बा लाग्यो
<poem>
514
edits