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Kavita Kosh से
रंगों का छवि-जाल अजब है
यह कैसी सम्मोहन-लीला,
यह कैसा अद्भुुत अद्भुत करतब है !
लपटों तक में देखा-निरखा है
रंगों का शाश्वत जादू
कितना संुदर सुंदर रंग तुम्हारा-
होगा, कोई जान न पाया।