भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
राग सूहा
स्वामी सब संसार के हो सांचे श्रीभगवान।<br>
मेरे पर प्रभु किरपा कीजो, बांदी अपणी जान।<br>
मीरां के प्रभु गिरधर नागर चरण कंवल में ध्यान॥<br><br>
शब्दार्थ :- थांरी =तुम्हारी। करबान = चमत्कार। दालद =दरिद्रता।
बालेकी =बचपन की। तंदुल =चावल। कुलका =अपने ही कुटुम्ब का।
निहार्या = देखा। गीतारो =गीता का। बांदी = दासी।