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|रचनाकार=नवीन सी. चतुर्वेदी
}}
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<poem>
कारण झगड़े का बनी, बस इतनी सी बात
हमने माँगी थी मदद, उसने दी ख़ैरात
किया चाँद ने वो ग़ज़ब, पल भर मुझे निहार
दिल दरिया को दे गया, लहरों की सौगात
सर पर साया चाहिये ? मेरा कहना मान
हंसा को कागा बता, और धूप को रात
आँखों को तकलीफ़ दे, डाल अक़्ल पर ज़ोर
हरदम ही क्या पूछना, मौसम के हालात
कहाँ सभी के सामने, कली बने है फूल
तनहाई में बोलना, उस से दिल की बात</poem>
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|रचनाकार=नवीन सी. चतुर्वेदी
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कारण झगड़े का बनी, बस इतनी सी बात
हमने माँगी थी मदद, उसने दी ख़ैरात
किया चाँद ने वो ग़ज़ब, पल भर मुझे निहार
दिल दरिया को दे गया, लहरों की सौगात
सर पर साया चाहिये ? मेरा कहना मान
हंसा को कागा बता, और धूप को रात
आँखों को तकलीफ़ दे, डाल अक़्ल पर ज़ोर
हरदम ही क्या पूछना, मौसम के हालात
कहाँ सभी के सामने, कली बने है फूल
तनहाई में बोलना, उस से दिल की बात</poem>