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                     शिवाष्टक
सब देवन में महादेव बड़े,  सुर  पूजत  हैं  जग  के  सब  प्राणी |
मन कामना पूरण शीघ्र करो, मेरी अर्ज़ सुनो शिवशंकर दानी ||१||
शिव सुख करो अघ दुःख हरो, प्रभु आस भरो बरदायक ज्ञानी |
चारों ही ओर प्रकाश  सदा शिव, शंभू  दयामय  साधू  अमानी || 
तव द्वार से प्रेम अपार मिले, सब सार मिले यह सत्य कहानी | 
मन कामना पूरण शीघ्र करो, मेरी अर्ज़ सुनो शिवशंकर दानी ||२||
तीनों  ही  ताप  त्रिशूल  हरे, शिव  बाजत  है  डमरू  अगवानी |
भूत पिशाच  दोउ  कर  जोरत,  नृत्य  करे  गुनज्ञान  बखानी ||
शमशान में ध्यान विभूति चढ़े, शिव तात कथा नहीं कहू से छानी |
मन कामना पूरण शीघ्र करो, मेरी अर्ज़ सुनो शिवशंकर दानी ||३||  
मृग छाल बागम्बर साजत है, शिव भाल पे चंद अमी बरसानी |
अनंत अखंड समाधि लगावत, भक्तन के हित  बात ये  ठानी ||
लहर तरंग में  भंग के रंग में, आठों ही  याम रहें  शिव ध्यानी |
मन कामना पूरण शीघ्र करो, मेरी अर्ज़ सुनो शिवशंकर दानी ||४||     
रावन शीश उतार धरे, शिव होय प्रसन्न दिये  वर ज्ञानी |
शिव शंभू कृपा से  दसानन को, वह स्वर्ण की लंका मिली रजधानी ||
सुन्दरी  वाम   मिले  सुत  सुभट,  भाई  विभीषण    अमृत  वाणी |
मन कामना पूरण शीघ्र करो, मेरी अर्ज़  सुनो  शिव  शंकर  दानी ||५||    
भक्तन  के  सरताज  त्रिलोचन,  योगी  सदा  शिव  टेक  निभानी |
संतन  के  हित  में  चित  में, बल  बुद्धि  जगावत  सुरत सायानी ||
दाता  प्रताप  महा  महिमा, जग  जानत  है  यह  बात  न  छानी |
मन कामना पूरण शीघ्र करो, मेरी अर्ज़  सुनो  शिव  शंकर  दानी ||६||  
भोले  कल्याण करो  सबका, धन  धान  सुता  सुत  दे  सुर ज्ञानी |
शिव  शरण  परे  की  रखे  लजिया, भंडार  भरे  गुण  वेद  बखानी ||
सारद   शेष  दिनेश  मुनीन्द्र, सभी   गुण   गावत  ये   गुण  ज्ञानी |      
मन कामना पूरण शीघ्र करो, मेरी अर्ज़  सुनो  शिव  शंकर  दानी ||७||
राम ही राम  रटे  शिव  शंकर,  ध्यान  धरे  निशि  वासर  ध्यानी |
लीला  अनंत   न   अंत  मिले, शिव  संग  रहे  जगदंब    भवानी ||
कर  जोरत  है  शिवदीन  निरंतर, शीश  झुकावत सज्जन  प्राणी |
मन कामना पूरण शीघ्र करो, मेरी अर्ज़  सुनो  शिव  शंकर  दानी ||८||     
                  दोहा  
शिव अष्टक पढि प्रेम से, पाठ करे जो कोय |
शिवदीन प्रेम भक्ति मिले, हरी का दर्शन होय ||
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