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|रचनाकार=शिवदीन राम जोशी
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दुःख दर्द का साथी दुनिया में, देखा कोई यार नहीं मिलता |
हैं सुख के साथी बहुतेरे, उनसे कोई सार नहीं मिलता ||
सहना है दर्द अकेले ही, कहना है किसको जाकर के |
कुछ रहे यार मुसकाकर के, कुछ समय बितायें गाकर के |
शिवदीन जगत को देख लिया, कोई दिलदार नहीं मिलता ||
इसलिए शरण प्रभु की होना, सतसंग से पाप सकल धोना |
संतन के संग उमंग सदा, पर ये बाजार नहीं मिलाता ||
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