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चिड़िया / राजेश जोशी

22 bytes removed, 12:06, 3 फ़रवरी 2013
|रचनाकार=राजेश जोशी
}}
{{KKCatKavita‎}}<poem>उजली धूप में<br>पानी बरस रहा है<br>"चिड़िया का ब्याह हो रहा होगा"<br>कहती है मुनिया।<br><br>मुनिया ।
कहती है मुनिया।<br>मुनिया ।चिड़िया का एक पंख<br>धूप है<br>एक पंख<br>पानी।<br><br>पानी ।
चोंच में <br>जो दाना है<br>वह दाना <br>दाना पानी भी भी है<br>‌और आकाश भी।भी ।</poem>
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