भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गाँधी / रामधारी सिंह "दिनकर"

92 bytes removed, 15:41, 4 मार्च 2013
|रचनाकार=रामधारी सिंह "दिनकर"
}}
{{KKCatKavita}}{{KKAnthologyGandhi}}<poem>देश में जिधर भी जाता हूँ,<br>उधर ही एक आह्वान सुनता हूँ<br>"जडता जड़ता को तोडने तोड़ने के लिए<br>भूकम्प लाओ।<br>लाओ ।घुप्प अँधेरे में फिर<br>अपनी मशाल जलाओ।<br>जलाओ ।पूरे पहाड पहाड़ हथेली पर उठाकर<br>पवनकुमार के समान तरजो।<br>तरजो ।कोई तूफान तूफ़ान उठाने को<br>कवि, गरजो, गरजो, गरजो !"<br><br>
सोचता हूँ, मैं कब गरजा था?<br>जिसे लोग मेरा गर्जन समझते हैं,<br>वह असल में गाँधी का था,<br>उस गाँधी का था, जिस ने हमें जन्म दिया था।<br><br>था ।
तब भी हम ने गाँधी के<br>तूफान तूफ़ान को ही देखा,<br>गाँधी को नहीं।<br><br>नहीं ।
वे तूफान तूफ़ान और गर्जन के<br>पीछे बसते थे।<br>थे ।सच तो यह है<br>कि अपनी लीला में<br>तूफान तूफ़ान और गर्जन को<br>शामिल होते देख<br>वे हँसते थे।<br><br>थे ।
तूफान तूफ़ान मोटी नहीं,<br>महीन आवाज आवाज़ से उठता है।<br>है ।वह आवाज<br>आवाज़जो मोम के दीप के समान<br>एकान्त में जलती है,<br>और बाज नहीं,<br>कबूतर के चाल से चलती है।<br><br>है ।
गाँधी तूफान तूफ़ान के पिता<br>और बाजों के भी बाज थे।<br>थे ।
क्योंकि वे नीरवताकी आवाज थे।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,269
edits