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{{KKRachna
|रचनाकार=दिनकर कुमार
|संग्रह=लोग मेरे लोग / दिनकर कुमार
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<Poem>
दुनिया की सबसे हसीन औरत
गरीबी ग़रीबी की रेखा पर चढ़कर
मुस्कुराती है
ठंडे चूल्हे की तरह सर्द हैं
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