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गुलज़ार का लिखा यह गीत सन् १९७९ में बनी हिन्दी फ़िल्म गृहप्रवेश में सम्मलित किया गया था
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{{KKRachna
|रचनाकार=गुलज़ार
}}
[[Category:गीत]]
<poem>
बोलिये सुरीली बोलियाँ
खट्टी मीठी आँखों की रसीली बोलियाँ
रात में घोले चाँद की मिश्री
दिन के ग़म नमकीन लगते हैं
नमकीन आँखों की नशिली बोलियाँ
गूंज रहे हैं डूबते साये
शाम की खुशबू हाथ ना आये
गूंजती आँखों की नशिली बोलियाँ
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|रचनाकार=गुलज़ार
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बोलिये सुरीली बोलियाँ
खट्टी मीठी आँखों की रसीली बोलियाँ
रात में घोले चाँद की मिश्री
दिन के ग़म नमकीन लगते हैं
नमकीन आँखों की नशिली बोलियाँ
गूंज रहे हैं डूबते साये
शाम की खुशबू हाथ ना आये
गूंजती आँखों की नशिली बोलियाँ