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बड़ी तकलीफ़ होती है / गुलज़ार
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07:19, 9 अप्रैल 2013
<poem>
मचल के जब भी आँखों से छलक जाते हैं दो आँसू
सुना है
आबोशारों
आबशारों
को बड़ी तकलीफ़ होती है(१)
खुदारा अब तो बुझ जाने दो इस जलती हुई लौ को
चरागों से
मजारों
मज़ारों
को बड़ी तकलीफ़ होती है(२)
कहू क्या वो बड़ी मासूमियत से पूछ बैठे है
Mani Gupta
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