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जिंदगी / बुद्धिनाथ मिश्र

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जिंदगी अभिशाप भी, वरदान भी
जिंदगी दुख में पला अरमान भी
क़र्ज़ सांसों साँसों का चुकाती जा रही
जिंदगी है मौत पर अहसान भी
आज सब कुछ है मगर हासिल नहीं
हर थकन के बाद मीठी नींद अब
हर कदम पर बोलियों की बेडयाँबेड़ियाँजन्दगी घुडदौड ज़िन्दगी घुड़दौड़ की मानिन्द अब
आँख में आँसू नहीं काजल नहीं
होठ पर दिखती न वह मुस्कान भी।
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