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परिभाषा ही मान जाइए ॥1॥
अर्थशास्त्री मिले पाँच जब,
सीमाओं में बँधी हुई हैं,
अति वैज्ञानिक रूप दिखाया।
इसलिये उनको ही सबने,
‘राष्ट्रों के ध्न’ धन’ पुस्तक ने फिर,
विश्व चेतना जाग्रत कर दी।
अर्थशास्त्र के विद्वानों में
एडम स्मिथ ने ही अर्थशास्त्र को,
मानव के भौतिक जीवन में,
निजी स्वार्थ से प्रेरित होकर,
मानव काम किया करता है।
इच्छाओं की पूर्ति हेतु ध्नधन,
संग्रह नित्य किया करता है ॥8॥
‘स्मिथ’ ने ही इस मानव को,
‘आर्थिक मानव’ नाम दिया है।
स्व-हित स्वार्थ साध्नों साधनों पर ही,
जीवन का विश्वास किया है ॥9॥
जीवन-क्रम में कैसे-कैसे,
यही शास्त्र की परिभाषा है,
कहता अर्थशास्त्रविद् मानव ॥10॥
‘स्मिथ’ को ही था दुहराया।
‘वाकर’ ने भी अर्थशास्त्र को,