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Kavita Kosh से
कैंची चलाकर
ऊन उतार लो उसकी
और फिर से
एक अर्से के लिये
ऊबड़-खाबड़ गहन निर्जन में
नंगा कर छोड़ दो
जहाँ रहते हैं
असंख्य भेड़िये और