भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
*[[है वक़्त कम औ लम्बा सफ़र भागते रहो / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[गर्मियों की यह तपिश भी चाँदनी हो जायेगी / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[जो ज़बां से लगती है वो कभी नहीं जाती / ‘अना’ क़ासमी]]
*[[पैसा तो खुशामद में, मेरे यार बहुत है / ‘अना’ क़ासमी]]