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चुपचाप प्यार / लाल्टू

98 bytes added, 13:04, 15 अक्टूबर 2007
चुपचाप प्यार आता है.|<br> <br>
आता ही रहता है निरंतर<br>हालांकि हर ओर अंधेरा<br>धूप भरी दोपहर में भी<br>शिशु की शरारती मुस्कान ले<br>बार-बार चुपचाप प्यार आता है.|<br><br>
रेंग के आता ऊपर या नीचे से<br>शरीर पर मन पर चढ़ जाता<br>जहाँ कहीं भी बंजर, सीने में खिल उठता<br>कमज़ोर दिल की धड़कनों पर महक बन छाता है.|<br><br>
बेवजह आते हैं फिर जलजले<br>आती है चाह<br>फूल पौधों हवा में समाने की, अंजान पथों<br>पर भटका पथिक बन जाने की<br>ओ पेड़, ओ हवाओं, मुझे अपनी बाहों में ले लो<br>मैं प्रेम कविताओं में डूब चला हूँ<br>
आता है बेख़बर बेहिस प्यार जब<br>पशु-पक्षी भी सुबकते हैं<br>सुख की सिसकियों में बार-बार<br>चुपचाप प्यार आता है.|<br><br>
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