चुपचाप प्यार आता है |<br> <br>
आता ही रहता है निरंतर<br>
धूप भरी दोपहर में भी<br>
शिशु की शरारती मुस्कान ले<br>
बार-बार चुपचाप प्यार आता है|<br><br>
रेंग के आता ऊपर या नीचे से<br>
शरीर पर मन पर चढ़ जाता<br>
जहाँ कहीं भी बंजर, सीने में खिल उठता<br>
कमज़ोर दिल की धड़कनों पर महक बन छाता है|<br><br>
बेवजह आते हैं फिर जलजले<br>
पशु-पक्षी भी सुबकते हैं<br>
सुख की सिसकियों में बार-बार<br>
चुपचाप प्यार आता है|<br><br>