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शब्द / मंगलेश डबराल

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<poem>
 कुछ शब्द चीखते चीख़ते हैं 
कुछ कपड़े उतार कर
 
घुस जाते हैं इतिहास में
 कुछ हो जाते हैं खामोशख़ामोश
</poem>
(रचनाकाल : 1975)
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