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{{KKRachna
|रचनाकार=नीरज दइया
|संग्रह=उचटी हुई नींद / नीरज दइया
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<Poem>तुम्हारी स्मृति स्मृति अभी तक नहीं भूली भूली
मुझ तक पहुंचने के रास्ते
मैंने सहेज कर रखी है
तुम्हारी स्मृति
अपने सपनों के संग संग !
सीमाएं सदैव बदली
नहीं बदली, मेरे लिए-
तुम्हारी छवि
यदि बदल जाती जाती
तो भूल जाती स्मृति-
मुझ तक पहुंचने के रास्ते । </poem>