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कौन थकान हरे जीवन की / गिरिजाकुमार माथुर
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12:51, 2 जून 2013
अब सपनों में शेष रह गई
सुधियां उस चंदन के बन की ।
रात हुई पंछी घर आए,
पथ के सारे स्वर सकुचाए,
Sharda suman
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