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Kavita Kosh से
तुम जो जीवित कहलाने के आदी हो
तुम, जिन को दफना नहीं सकी बर्बादी
तुम, जिन की धडकन में गति का बंदन है,
तुम, जो पथ पर अरमान भरे आते हो ,तुम, जो हस्ती की मस्ती में गाते हो I .
तुम, जिनने अपना रथ सरपट दोड़ाया
तुमने जितनी साँसें खींची-छोड़ी हैं
उन का हिसाब दो और करो रखवाली
कल आने वाला है सांसों का माली I.