भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वक्तव्य / महेश वर्मा

2 bytes added, 09:56, 26 जून 2013
कभी हड़बड़ी और अक्सर
समय पर न सूझ पाने के कारण।
आपके ठीक बगल से गुज़रते हुए वे कहते हो सकते हैंवह वाक्य जो आपसे कहना चाहता था आपका परिचित
और चुप रह गया था पिछले किसी मौसम।
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,131
edits