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पर सफेद मदार
रंग-भेद यहाँ भी ?
पुरइन मगन हो जाती है
जब भी जीती हूँ तुममें तुम आ जाते हो
मुझमें और हर लेते हो
मेरे अंदर का सूनापन
बाहर पसर जाती है एक चुप्पी
और भीतर मच जाती है हलचल
रातें सजल हो जाती हैं दिन तरल
|पोखर भर जाता है
पुरइन मगन हो जाती है |