भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
* [[हवा के पर कतरना अब ज़रूरी हो गया है / ख़ुशबीर सिंह 'शाद']]
* [[इस इंतिशार का कोई असर भी है के नहीं / ख़ुशबीर सिंह 'शाद']]
* [[जो षब शब को मंज़र-ए-शब ताब में तब्दील करते हैं / ख़ुशबीर सिंह 'शाद']]
* [[कोई नहीं था मेरे मुक़ाबिल भी मैं ही था / ख़ुशबीर सिंह 'शाद']]
* [[मैं अपने रू-ब-रू हूँ और कुछ हैरत-ज़दा हूँ मैं / ख़ुशबीर सिंह 'शाद']]