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{{KKShayar}}
* [[ आएँ आँसू अगर आँखों में तो बस पी जाएँ / मनमोहन 'तल्ख़']]* [[अभी शुऊर ने बस दुखती रग टटोली है / मनमोहन 'तल्ख़']]* [[बहुत हैं रोज़-ए-सवाब-ओ-गुनाह देखने को / मनमोहन 'तल्ख़']]* [[खोलेगा राज़ कौन तेरी काएनात के / मनमोहन 'तल्ख़']]* [[किसी के साथ न होने के दुख भी झेले हैं / मनमोहन 'तल्ख़']]* [[कुछ देर तो सब कुछ टूटने का माहौल रहा / मनमोहन 'तल्ख़']]* [[मैं ख़ुद को हर इक सम्त से घेर कर / मनमोहन 'तल्ख़']]* [[साबित ये करूँगा के हूँ या नहीं हूँ मैं / मनमोहन 'तल्ख़']]* [[सदाओं का न ख़ला देख कर डरा मझ को / मनमोहन 'तल्ख़']]* [[फिर आज घर मुझे ले आई जूँ का तूँ इक बात / मनमोहन 'तल्ख़']]* [[ये शहर शहर सर-ए-आम अब मुनादी है / मनमोहन 'तल्ख़']]* [[यूँही नहीं हम बोलते जाते ये अपनी मजबूरी है / मनमोहन 'तल्ख़']]* [[ज़माना है के मुझे रोज़ शाम डस्ता है / मनमोहन 'तल्ख़']]* [[ज़िक्र है दर्द का इक शहर बसा है मुझ से / मनमोहन 'तल्ख़']]