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Kavita Kosh से
|संग्रह=माँ, बापू कब आएंगे
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बेचैन होते हैं
फड़फड़ाते हैं
पेड़ों से टूट कर गिर जाते हैं
पुराने पत्ते
नयों के लिए
यह दुनिया छोड़ जाते हैं
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