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स्मृति / अनिल जनविजय

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{{KKRachna
|रचनाकार=अनिल जनविजय
|संग्रह=माँ, बापू कब आएंगे
}}

धीरे से मैं

दीवार की खाल खुरच देता हूँ

जहाँ कभी लिखा गया था

तेरा नाम
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