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{{KKRachna
|रचनाकार = सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
}}{{KKAnthologyNewYear}}{{KKPrasiddhRachna}}<poem>नए साल की शुभकामनाएं !खेतों की मेड़ों पर धूल भरे पाँव कोकुहरे में लिपटे उस छोटे से गाँव कोनए साल की शुभकामनाएं ! जांते के गीतों को बैलों की चाल कोकरघे को कोल्हू को मछुओं के जाल कोनए साल की शुभकामनाएं !
नए साल की शुभकामनाएं !<br>खेतों की मेड़ों पर धूल भरे पाँव इस पकती रोटी को<br>कुहरे में लिपटे उस छोटे से गाँव बच्चों के शोर को<br>नए साल चौंके की शुभकामनाएं ! <br>जांते के गीतों गुनगुन को बैलों चूल्हे की चाल को<br>करघे को कोल्हू को मछुओं के जाल भोर को<br>नए साल की शुभकामनाएं !<br><br>
इस पकती रोटी वीराने जंगल को बच्चों के शोर तारों को रात को<br>चौंके की गुनगुन को चूल्हे ठंडी दो बंदूकों में घर की भोर बात को<br>नए साल की शुभकामनाएं !<br><br>
वीराने जंगल इस चलती आँधी में हर बिखरे बाल को तारों को रात को<br>ठंडी दो बंदूकों में घर सिगरेट की बात लाशों पर फूलों से ख़याल को<br>नए साल की शुभकामनाएं !<br><br>
इस चलती आँधी में हर बिखरे बाल कोट के गुलाब और जूड़े के फूल को<br>सिगरेट की लाशों पर फूलों से ख़याल हर नन्ही याद को हर छोटी भूल को<br>नए साल की शुभकामनाएं !<br><br>
कोट के गुलाब और जूड़े के फूल को<br>हर नन्ही याद को हर छोटी भूल को<br>नए साल की शुभकामनाएं !<br><br> उनको जिनने चुन-चुनकर ग्रीटिंग कार्ड लिखे<br>उनको जो अपने गमले में चुपचाप दिखे<br>
नए साल की शुभकामनाएं !
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