भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
}}
{{KKShayar}}
* [[इंशाजी उठो अब कूच करो / इब्ने इंशा]]
* [[उस शाम वो रुख़सत का समा / इब्ने इंशा]]
* [[फ़क़ीर बन कर तुम उनके दर पर हज़ार धुनि रमा के बैठो / इब्ने इंशा]]
* [[हम घूम चुके बस्ती-वन में / इब्ने इंशा]]