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Kavita Kosh से
डूबते तैराक ही अक्सर
तमाशाई तो सँभलते हैं ।
स्वर्ग ंउतरा उतरा राजपथ पर है
नरक जनपथ हो गया अब तो
देश भक्षक खा रहे सब कुछ