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प्रथम रश्मि का आना रंगिणि!
तूने कैसे पहचाना?
कहांकहाँ, कहां कहाँ हे बाल-विहंगिनि!
पाया तूने वह गाना?
सोयी थी तू स्वप्न नीड नीड़ में,
पंखों के सुख में छिपकर,
ऊंघ ऊँघ रहे थे, घूम द्वार पर,
प्रहरी-से जुगनू नाना।
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