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जल / कविता वाचक्नवी

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<poem>
 
== '''जल''' ==
 
 
 
जल, जल है
पर जल का नाम
बदल जाता है।
 
हिम नग से
झरने
श्रम का सीकर
दु:ख का आँसू
हँसती आँखों में सपने-जल ,जल!  
कितने जाल डाल मछुआरे
पानी से जीवन छीनेंगे ?
जल-प्लावन में घिरना होगा
फिर-फिर जल के
 
 
घाट-घाट पर
ठाठ-बाट तज
तिरना होगा,
 
महाप्रलय में
एक नाम ही शेष रहेगा
जल …..जल......
जल ही जल ।
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