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हर नया दिन हो एक दीप-उत्सव / द्विजेन्द्र 'द्विज'
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04:12, 29 जुलाई 2013
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गो अमावस की रात काली है
सर बुलन्द आज है उजाले का
सत्य की रौशनी रहे मन में
आस्था की जड़ी रहे मन में
आँगन-आँगन में अल्पनाएँ हों
जिनकी चित्रावली रहे मन में
Sharda suman
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