Changes

ऐ री चिड़िया / मजीद 'अमज़द'

1,584 bytes added, 03:10, 20 अगस्त 2013
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मजीद 'अमज़द' }} {{KKCatNazm}} <poem> जाने इस रौज़...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मजीद 'अमज़द'
}}
{{KKCatNazm}}
<poem>
जाने इस रौज़न में बैठे बैठे
तू किस ध्यान में तेरी चिड़िया ऐ री चिड़िया
बैठे बैठे तू ने कितनी लाज से देखा
पीतल के उस इक तिल को तेरी नाक में है
अपनी पत परियों मत रेझ ख़बर है बाहर
इक इक डाइन आँख की पुतली तेरी ताक में है
तुझ को यूँ चुमकारने वालों में है इक जुग तेरा बैरे
चिड़िया ऐ री चिड़िया
भूली तू यूँ उड़ती पँख झपकती
यहाँ कहाँ आ ठहरी चिड़िया ऐ री चिड़िया
ये तो मेरे दिल का पिंजरा है तू इस में
अपनी टूटी फूटी ख़ुशियाँ ढूँढने आई है
पगली यहाँ तो है हीरे की कनी का चोगा
और इक ज़ख़्मी साँस इस पिंजरे की अँगनाई है
उड़ और महकी हुई बन-बेलड़ियों में
जा चुन अपनी लय री चिड़िया ऐ री चिड़िया
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,244
edits