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|रचनाकार=लावण्या शाह
}}
{{KKCatKavita}}<poem>असीम अनन्त, व्योम, यही तो मेरी छत है!<br>समाहित तत्त्व सारे, निर्गुण का स्थायी आवास<br>हरी भरी धरती, विस्तरित, चतुर्दिक -<br>यही तो है बिछोनाबिछौना, जो देता मुझे विश्राम !<br>हर दीशा दिशा मेरा आवरण, पवन आभुषण आभूषण-<br>हर घर मेरा जहाँ , पथ मुड मुड़ जाता स्वतः मेरा, <br>पथिक हूँ, हर डग की पदचाप -<br>विकल मेरा हर श्वास, तुमसे, आश्रय माँगता !<br><br/poem>