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Kavita Kosh से
|रचनाकार=रति सक्सेना
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उन सभी कदमो को
गिन कर देखूँ यदि
तुम्हारे साथ चले थे मैंने
पाँव फिर से
चलना भूल जाएँ
सड़क भूल जाए रास्ता
उन सभी कदमो लम्हों को<br>गिन जोड़ कर देखूँ यदि<br>बिताए थे तुम्हारे साथ चले थे मैंने<br>पाँव फिर से <br>चलना भूल जाएँ<br>सड़क भूल समय की धड़कन रुक जाए रास्ता<br><br>
चांदनी की उधारी था
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