भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
|रचनाकार=रति सक्सेना
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
तुमने घड़ी उठाई,
वक्त तुममें भरने लगा
सुइयों से नापता हुआ
पेन में भर लिया तुमने
सारा कि सारा आत्मविश्वास
कुछ लिया इधर से
कुछ उधर से
हड़बड़ाते हुए चल दिए
फिर एक सफर पर
तुम्हारी घड़ी की सुई ने टोका
कुछ भूल तो नहीं गए
नहीं, तुमने सिर हिलाया
चल दिए,
तुमने घड़ी उठाई,<br>वक्त तुममें भरने लगा<br>सुइयों से नापता हुआ<br>पेन में भर लिया तुमने<br>सारा कि सारा आत्मविश्वास<br>कुछ लिया इधर से<br>कुछ उधर से<br>हड़बड़ाते हुए चल दिए<br>फिर एक सफर पर<br>तुम्हारी घड़ी की सुई ने टोका<br>कुछ भूल तो नहीं गए<br>नहीं, तुमने सिर हिलाया<br>चल दिए,<br><br> आधा रास्ता पार कर<br>तुम्हें कुछ याद आया<br>इधर मेरे मोबाइल पर<br>संदेश आया<br>जा रहा हूँ<br>
ध्यान रखना
</poem>