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|रचनाकार=धर्मवीर भारती
}}
{{KKCatKavita}}<br /><br /poem>गोरी-गोरी सौंधी धरती-कारे-कारे बीज<br />बदरा पानी दे !<br /><br />
क्यारी-क्यारी गूंज उठा संगीत <br />बोने वालो ! नई फसल में बोओगे क्या चीज ?<br />बदरा पानी दे !<br /><br />
मैं बोऊंगा बीर बहूटी, इन्द्रधनुष सतरंग <br />नये सितारे, नयी पीढियाँ, नये धान का रंग<br />बदरा पानी दे !<br /><br />
हम बोएंगे हरी चुनरियाँ, कजरी, मेहँदी -<br />राखी के कुछ सूत और सावन की पहली तीज !<br />बदरा पानी दे !<br /poem><br /> --[[सदस्य:सौरभ शर्मा |Saurabh2k1]] ०४:४८, २७ जून २००८ (UTC)
