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Kavita Kosh से
साँसों की आग, जिस्म की ख़ुशबू न ढल सकी
तुझ में जोलोच जो लोच है, मेरी तहरीर में नहीं
दुनिया में कोई चीज़ नहीं है तेरी तरह
फिर एक बार सामने आजा आ जा किसी तरह
क्या एक और झलक, मेरी तक़दीर में नहीं ?
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