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|रचनाकार=अज्ञात
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|भाषा=भोजपुरी
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<poem>
'''१.'''
सिया डाले राम गले जय माला, सिया डाले राम गले जय माला।
पाव धरत हमरो जीउ डरऽवत,
दूजे पाव में पायल भारी, कहे बृजनारि।
</poem>