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हरियाणवी लोक साहित्य पर अमीर खुसरो का काफी प्रभाव है क्योंकि उनकी रचानाएं खड़ी बोली में भी थी तथा कुण्डलियां भी उन्होंने काफी लिखी जिनमें दूसरी पंक्ति के अंितम अंतिम हिज्जे की पुर्नावृति तीसरी पंक्ति के पहले हिज्जे में होती है तथा कुण्डली का पहला हिज्जा उल्टा करके अंितम अंतिम हिज्जा बनाया जाता है।
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