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|रचनाकार =साहिर लुधियानवी
|संग्रह=साहिर की शायरी
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पलकों पे लरजते अश्कों में तसवीर झलकती है तेरी.
दीदार की प्यासी आँखों को, अब प्यास नहीं और प्यास भी है.
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