भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ब्रजकिशोर दूबे |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ब्रजकिशोर दूबे
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGeet}}
{{KKCatBhojpuriRachna}}
<poem>बाँसुरी मन के रोवे गजवला बिना।
गीत लोर हो गइल सब सुनवला बिना।।
आँगन में साधन के दियना बराइल
असरा के बाजी प जिनिगी धराइल
फूल कुम्हिला गइल सब चढ़वला बिना। बाँसुरी.....

ललसा के लत्तर बराबर फुलाइल
लाखन बे-सरधा के गंगा फफाइल
नेह-बिरवा सुखाइल पटवला बिना। बाँसुरी.....

सबुरो के डढ़िया टिकोरवा ना आइल
डँहकत परनवाँ उमिरिया ओराइल
रोज छछनेला जियरा जुड़वला। बाँसुरी.....

हँसलीं त बाकिर ऊ हँसिया छिनाइल
हमरा जिनिगिया के सरबस बिलाइल
मेघ उमड़ल ना धरती तपवला बिना। बाँसुरी.....

आइल अँजोरिया ना तनिको बुझाइल
केकरा सरपला से जिनिगी डहाइल
साध-सुगना ना बोला पढ़वला बिना। बाँसुरी.....
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
2,357
edits