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रचनाकार: [[केदारनाथ अग्रवालशलभ श्रीराम सिंह]]
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नफ़स-नफ़स, क़दम-क़दमबस एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !फ़िक्र दम-ब-दम हाथी सा बलवानघिरे हैं हम सवाल से,हमें जवाब चाहिए जहाजी हाथों वाला और हुआ !सूरजजवाब दर-सा इंसान,सवाल है कि इन्क़लाब चाहिए तरेरी आँखोंवाला और हुआ !!इन्क़लाब ज़िन्दाबादएक हथौड़ेवाला घर में और हुआ!ज़िन्दाबाद इन्क़लाबजहाँ आवाम के खिलाफ साजिशें हों शान सेमाता रही विचारः अँधेरा हरनेवाला और हुआ !दादा जहाँ पे बेगुनाह हाथ धो रहे निहारःहों जान से सबेरा करनेवाला और हुआ !!वहाँ न चुप रहेंगे हम,कहेंगे हाँ कहेंगे हमएक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !हमारा हक हमारा हक हमें जनाब चाहिएइन्क़लाब ज़िन्दाबादजनता रही पुकारः सलामत लानेवाला और हुआ !सुन ले री सरकार! कयामत ढानेवाला और हुआ !!एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !ज़िन्दाबाद इन्क़लाब
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