भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
साबिर
,/* ग़ज़लें */
{{KKShayar}}
====ग़ज़लें====
* [[ हमारी बेचैनी उस की पलकें भिगो गई है / साबिर]]* [[ख़ूबियों को मस्ख़ कर के ऐब जैसा कर दिया / साबिर]]* [[मुझे क़रार भँवर में उसे किनारे में / साबिर]]* [[मुख़्तसर ही सही मयस्सर है / साबिर]]* [[मुस्तक़र की ख़्वाहिश में मुंतशर से रहते हैं / साबिर]]* [[सच यही है कि बहुत आज घिन आती है मुझे / साबिर]]* [[सैंत कर ईमान कुछ दिन और रखना है अभी / साबिर]]* [[तुम्हारे आलम से मेरा आलम ज़रा अलग है / साबिर]]