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|संग्रह=
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{{KKCatMoolRajasthaniKKCatRajasthaniRachna}}{{KKCatKavita}}<poem>हेली जलम्यो है बो मरसी, ईं में बोल राम के करसी।
मंदिर धोक’र चाए मसजिद, गुरुद्वाराँ अरदास कर्याँ नित।
काम न आणी कोई भी बिध, तूँ जितणी भी करसी।